लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है और जनता का निर्णय सभी पार्टियों को शिरोधार्य होता है। आज दिल्ली में चुनाव के बाद सभी सर्वे दिल्ली में आप पार्टी की एक तरफ़ा विजय दिखा रहे है।दिल्ली में घूमने के बाद मुझे भी ऐसा ही लगा।
कांग्रेस ने तो ख़ैर यह चुनाव लड़ा ही नहीं और लड़ाई से पहले ही हथियार डाल दिए थे। जो थोड़ी बहुत लड़ाई थी भी एक दिखावा ही थी वरना जिस पार्टी ने दिल्ली में लगातार १५ साल शासन किया हो वो अचानक ५ प्रतिशत वोट पर कैसे आ सकती थी। कुछ कांग्रेसी मित्र कह रहे है की ये कांग्रेस की सोची समझी रणनीति थी जिससे कांग्रेस और आप में वोट बँट ना जाए। दोनो पार्टियों का एक ही वोट बैंक है जिस पर अब आप ने क़ब्ज़ा कर लिया है और अब आप इसे आसानी से छोड़ने वाली नहीं है इसका मतलब कांग्रेस दिल्ली से भी अब एकदम फुर्र……
अब बात करते है भाजपा की। चुनाव से पहले मैं भाजपा के नेताओं से कहता था की ३७०, राम जन्मभूमि, तीन तलाक़, सी ए ए इत्यादि इत्यादि मुद्दे तो ठीक हैं और यह सभी राष्ट्रीय मुद्दे है इसका फ़ायदा लोकसभा चुनाव में ले चुके हो और आगे भी ले लोगे लेकिन दिल्ली में हर व्यक्ति सिर्फ़ और सिर्फ़ बिजली पानी मुफ़्त में मिलने की बात कर रहा था । मुझे नहीं पता भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसे गम्भीरता से क्यूँ नहीं लिया और सब कुछ पक्ष में होते हुए चुनाव हारने के कगार पर है।
भाजपा वाले शाहीन बाग़, सीलमपुर और अन्य मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ों में सीएए का विरोध कर रहे लोगों को संयोग नहीं प्रयोग कहा और छोटे छोटे पाकिस्तानों की संज्ञा दे दी। मैं नहीं जानता कि यह पहले था या नहीं लेकिन आज चुनाव के दौरान मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ों में सिर्फ़ अधिक संख्या में आप और छूटपुट कांग्रेस के तम्बू दिख रहे थे । भाजपा बिल्कुल नदारद थी। मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ों ने अपने वोट का बँटवारा नहीं होने दिया । एक तो एकमुश्त वोट आप को मिला और दूसरा इन इलाक़ों में वोट प्रतिशत भी बहुत अधिक रहा कहीं कहीं तो ९० प्रतिशत वोट एकमुश्त पड़ा।
भाजपा को समझना होगा की राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे एकदम फ़र्क़ होते हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर स्थानीय चुनाव नहीं जीते जा सकते।
स्थानीय मुद्दों में सिर्फ़ बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क पर ही वोट मिल सकता है। जहाँ जहाँ सरकारें इन मुद्दों पर काम कर रही हैं वहाँ की सरकारों को हटाना नामुमकिन है।
जनता बहुत समझदार है।
(By- राकेश शर्मा)